रिअल वास्तु के बारे में संक्षिप्त
वास्तु ब्रह्माण्डीय ऊर्जा अथवा वास्तु ऊर्जा के प्रभाव का केन्द्रीयकरण एवं स्रोत है| आदि काल से सनातन ग्रंथों में चुम्बकीय प्रवाहों, दिशाओं, वायु प्रभाव, गुरुत्वाकर्षण के नियमों को ध्यान में रखते हुए वास्तु शास्त्र की रचना की गयी तथा बताया गया कि इस नियमों के पालन से सुख-शांति आती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है|
वास्तु वस्तुतः पृथ्वी, जल, आकाश, वायु और अग्नि इन पांच तत्वों के समानुपातिक सम्मिश्रण का नाम है| इसके सही सम्मिश्रण से बायो-इलेक्ट्रिक एनर्जी की उत्पत्ति होती है, जिससे मनुष्य को उत्तम स्वास्थ, धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है|
मूल रूप से वास्तु संस्कृत शब्द 'वास' से बना है, जिसका अर्थ है “रहना” वास्तु की उत्पत्ति को 'वसु' या 'पृथ्वी' के रूप में परिभाषित किया गया है, ताकि धरती और उससे ऊपर की सभी रचनाओं को वास्तु कहा जाए। शाब्दिक रूप से वास्तु भवन के स्थल और भवन दोनों पर लागू होता है। इसलिए स्थल, वास्तुकला, परिदृश्य और संरचनाओं के विज्ञान के साथ-साथ ज्योतिष का चयन वास्तु विज्ञान का घटक हैं।